+91-11-41631787
बचपन (कविता संग्रह)
Select any Chapter from
     
हमारी कहानी
ISBN:
 

 
 
बड़ी अचरज की बात है 

यह कैसे दो अनजाने व्यक्ति 

बन जाते हैं जीवन - साथी 

ऐसी ही हैं हमारी कहानी 

कहो तो सुना दूं अपनी जबानी 

शादी के बाद पहले ही दिन 

ओहदा मिला - ‘जाने मन, मेरी बेगम’ 


मैं शरमाई कुछ कह न पाई 

न तब.....न आज 

‘आप तो हो मेरे दिल के सरताज’

छोटा - सा इक घर था हमारा 

जिस को हमने महल बनाया 

बेटियों ने आते ही पल में 

खुशियों से था इसे सजाया 

बहुत इन्तजार के बाद आया 

नन्हा - सा राजकुमार 

बहनों का इकलौता भाई 

सबने बांटी सूब मिठाई 

और दी इक - दूजे को बधाई 

माती - पिती ने अपने हाथों 

थी उसकी छटी मनाई

नटखट थे सारे के सारे 

हुई थी काफी बार पिटाई 

क्षमा करना मेरे बच्चों 

इसी में थी तुम्हारी छिपी भलाई 

इक - दूजे के नाम रखे थे 

कोई हीरे और कोई थे तांबे 

सच तो यह है सारे के सारे 

मां की आंखों के थे 

इक जैसे चमकते तारे 

नाम तुम्हारा छोटा - सा है बिन्दु 

पर तुम हो एक विशाल गहरा सिन्धू 

अपना बड़प्पन सदा दिखाया 

पढ़ाई में गोल्ड मैडल कमाया 

छोटों को रखा अपने पास 

तभी तो खेल पाई मैं ताश 

अनुराधा नाम है कितना प्यारा 

हम सबने तुम्हें अन्नु पुकारा 

मस्त - मौला तुम बचपन से हो 

पढ़ाई - लिखाई तो आती रहेगी 

स्पोट्स में अपना नाम कमा लो 

यही था नारा, यही रहेगा 

बेफिक्र होकर जिन्दगी गुजारो 

कभी न भूल पांउगी मैं 

जिस दिन सबीना हुई भी पैदा 

आंख से आंसू अवश्य टपके थे 

लेकिन दिल में प्यार अपार उमड़ा था 

पतली थी दुबली थी 

तभी तो टिंकी नाम रखा था 

पढ़ाई - लिखाई से दूर वह रहती 

दिखा दूंगी न एक दिन देखना 

सदा - सदा वह कहती रहती 

निखिल तुम जो भी कहो 

अडोपटेड नहीं सचमुच हमारे हो 

खुशियों का भंडार दिया है 

टेंशन्स को हमने पार किया है 

‘वूडंड सोल्जर’ तुम कहलाए 

अस्पतालों के हमने चक्कर लगाए 

गुम होकर भी तुमने दिखाया 

सुबह से शाम तक हमें रूलाया 

बच्चे मेरे प्यारे हो 

हंसी - मजाक के पिटारे हो 

सुर्य अस्त होने को है 

कहानी समाप्त होने को है 

ठहरो शीश निवा लूं मैं 

जोड़कर अपने दानों हाथ 

प्रभु को कर लूं दिल से अपने 

बार - बार धन्यवार 

कहानी खत्म करने से पहले 

सुन लो बच्चो मेरे दिल की बात 

आसमान छू लेना परन्तु 

रखना पांव धरती में गाड़ 

इस सुन्दर महल के राजा - रानी की 

यही है छोटी - सी कहानी 

यही दुआ है बसा रहे 

यह सुन्दर खुशियों का महल 

होती रहे सदा इसमें 

हमारे बच्चों की चहल - पहल।
 
 

(व्यक्तिगत जीवन पर आधारित)
 
 
- स्वर्ण सहगल