+91-11-41631787
बचपन (कविता संग्रह)
Select any Chapter from
     
एहसास
ISBN:

 


 
अचानक मुझे एहसास होने लगा

समय कितनी तेजी से है चल रहा

चलता ही रहा है चलता रहेगा

काम अधूरे ही रह जाएंगे

हम उतनी तेजी से न चल पाएंगे

धर्म के काम जो है सबसे महान

जाने कैसे न आए मेरे ध्यान

अब आया जो ध्यान 

तो हो गई है देर

समय धीरे चलो

मुझे सम्हलने तो दो

मेरा वादा रहा न चूकूंगी मैं इस बेर

गृहस्थी के कामों ने लिया था मुझे घेर

अक्ल आने लगी

तो लगा यह कैसा था अंधेर

क्यों न मैंने शुरू से ही लिया

अपना मुंह तुम्हारी तरफ फेर

न रह जाते मेरे काम अधूरे

न हो जाती देर

काम, क्रोध, लोभ, मोह

से मुक्त करो मेरे राम

छोड़कर ये बन्धन सारे

ले लूं तेरा नाम

बाकी के जो दिन हैं मेरे

कर लूं कुछ ऐसे काम

शर्मिन्दा न होना पड़े

आकर तेरे धाम।


       
- स्वर्ण सहगल