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बचपन (कविता संग्रह)
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पोते की मांग
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पोते ने दादी से कहां --

 

‘‘दादी सुुन लो मेरी बात

 

घर के अन्दर सड़क बनाओ

 

बननी चाहिए रातों - रात !’’

 

‘‘अरे भैया सुनी कभी है

 

घर के अन्दर सड़क बनी है ?’’

 

‘‘दादी, मेरी अपनी मेरी प्यारी दादी

 

कहता हूँ मैं बारम्बार

 

कहां चलाएं साईकल स्कूटर

 

और यह छोटी मोटरकार ?’’

 

‘‘आर्किटेक्ट हैं पापा तुम्हारे

 

विनती करो न हाथ पसारे।’’

 

‘‘ओफ ओ दादी,

 

तुम भी कितनी भोली हो ना

 

समय कहां है पापा के पास।’’

 

‘‘अपनी आंखें खोलो न

 

अच्छा मेरी छोटी-सी जान

 

दादी को तुम लो पहचान

 

सब लोग इकट्ठे हो जाओ

 

घर में ला दो इक तूफान

 

सीता, सुनीता जल्दी आओ

 

मेज - कुर्सी को परे हटाओ

 

दादा तुुम भी हाथ बंटाओ

 

जल्दी से इक सड़क बनाओ

 

उद्घाटन होगा उसका आज

 

रिब्बन काटेगा अधिराज

 

रूहन तुम भी जल्दी से जाओ

 

लाओ अपने पेन्ट और बोर्ड

 

लिख दो उस पर रंग - बिरंगा

 

माल रोड, माल रोड।’’

 

      

- स्वर्ण सहगल