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नवीन कवि
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गर्व है की हम लड़कियाँ है
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इंसानों की इस भीड़ में
अब हम खोना नहीं चाहते ..
दबाव की चादर तले
अब हम ढकना नहीं चाहते ...

हम बेटी ,पत्नी, माँ का रूप है  
भोग की वास्तु
अब हम बनना नहीं चाहते ...

हमे जिन्दगी के हर एक
लम्हे को जीना है ,
घर की इन चार-दीवारियो में
अब हम घुट-घुट के जीना नहीं चाहते......

जीवन के हर एक मुकाम में 
हम आगे पहुँचे है
और आगे भी पहुँचते रहेंगे ...
हालातो के आगे अब हम
झुकना नहीं चाहते ......

हमे पढ़ना है ,कुछ करना है ,
जीवन के हर रंगों में रंगना है ,
इस दुनिया के आसमान में
जी भर के उड़ना है ...

कामियाबियो की बुलंदियों
पर चढ़ना है ......
क्योकि अब हम इन
जुल्मी परिस्थितयो के हाथों
मरना नहीं चाहते .......

बड़ी मुश्किलो से निकले है इस भंवर से
अब बस हम
निखरना और निखरना
चाहते  हैं ।    

- अर्चना चतुर्वेदी (दिल्ली)