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नवीन कवि
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नवीन कवि
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दुआओं की दिवाली
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गर्व है की हम लड़कियाँ है
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हिम्मत
(13)
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खो रहा अमन...
दुआओं की दिवाली
ISBN:
बाजार में चहल-पहल दे रही है
इन दिनों किसी के आने की दस्तक
खुशियों से चहकने लगे है मन
जब से सुना है कि दिवाली आ रही है..
फिर गूंजेगा हवाओं में पटाखों का शोर
फिर हर घरोंदे में जगमगाएगें चिराग
रोशन हो उठेगा सारा जहान
फिर नए तोहफों से सजेगी हथेलियाँ
कट नहीं रहे अब इंतजार के पल
जब से सुना है कि दिवाली आ रही है..
मेरी दिवाली तो इस बार भी मनेगी
सोचा इस बार
किसी के अंधेरे मन में उजाला कर दूं
किसी के बेरंग सपनों में आशा के रंग भर दूँ
जो उड़ना चाहता है उसके पंख बन जाऊँ
किसी बेहसहारे का सहारा बन जाऊँ।
हर होठों में मुस्कान बिखरानी है
इस बार दिवाली कुछ खास मनानी है।
नए तोहफे तो इस बार भी मिलेंगे
तो चलो अपने कुछ पुराने पिटारे से निकालकर
किसी को नया तोहफा दे दें।
अपने घर के उन हजारों दीये में एक-दो कम ही सही
किसी के अंधेरे आशियाने को उजाला दे दें।
मिठाई की मिठास और भी बढ़ जाएगी
जब किसी की नम आंखे मुस्कुरा उठेगी।
तब देखना
तुम्हें बिन मांगे ही सब कुछ मिल जाएगा।
खुशियां बांटेगा तभी तो खुशी मिलेगी.
तो फिर देर किस बात की
चलो इस बार कुछ अलग करते हैं,
कुछ नया कुछ अच्छा कुछ खास करते हैं...
इस बार अपने साथ-साथ किसी
और के लिए भी बाजार चलते हैं।
किसी जरूरतमंद का घर सजाते है
फिर इस बार हम दुआओं की दिवाली मनाते हैं।
--- अर्चना चतुर्वेदी (दिल्ली)