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जीवन तरंग
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 जीवन तरंग

 

 

 

 

जीवन मिलास्वर साथ मिला

हर नई सुबहनए भाव मिले,

प्रतिपलनए सोपान मिले।

कोई माँ रूप में मिला

कोई पिता भाव में आया

कोई मित्रबंधू

कोई राह चलता राहगीर मिला।

 

पहले लगता थासब मैं करता हूं,

अब जानासब तुमने किया।

स्वर मिलातो शब्द मिले,

शब्द जोड़ नए भाव मिले

हर शब्द नेनित नया रूप रचा,

हर रूप में नित नया रंग मिला,

नए रंग ने मुझेनया रूप दिया।

 

अब तठस्थ भावमें होकर जाना

यदि तुम न होतेतो ये न होता

वह न होतातो कुछ न होता !

 

मेरा मैं’, अब नहीं रहाजीवन में

हर रंग नयातुमने ही भरा।

हर नए सोपान को नमन मेरा !

कृतज्ञ होंजनक – जननी,

मित्र– बंधूअपने हर गुरुजन का |