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स्वीन सैनी की कविताएं
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यह जीवन
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यह जीवन...

 
 
सूरज की किरण ने आज दिया है ये संदेश

कुलदीपक ने कुल का नाम आज किया है पेश। 

माता-पिता के संस्कारों ने ऐसा दीप जलाया,

प्रज्वलित होकर कुलदीपक ने सबका मान बढ़ाया। 

 

बड़े भाई की इस उपलब्धी पर नाच रही है बहना,

दादी ने भी पोते की कामयाबी का पहना है गहना,

पिता की अभिलाषाओं का पुत्र ने किया है मान,

मेहनत और लगन से पढ़कर पाया है सम्मान।

 

इतनी खुश है कि मां की भर आई है आंखें,

पूर्ण हुआ वो सपना जो रोज देखती थी आंखें।

इसी तरह तुम विजयपथ पर आगे बढ़ते रहना,

ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहे है, पापा-मम्मी और बहना।