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आदित्य के हास्य तीर
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आदित्य के हास्य तीर
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हिंदी काव्य मंचों पर यदि तीन शब्दों को जोड़ा जाए - कविता, हास्य और छंद, तो मात्र एक ही नाम लोगों के मन में आता था और वो था श्री ओम प्रकाश 'आदित्य' जी का। तीखे शब्दों को कैसे शहद में डुबों के बोलना है इसमें वे परांगत थे। हास्य से प्रारंभ होकर दर्शन की ऊँचाइयों तक पहुँचने वाली उनकी काव्य संवेदना विलक्षण थी। लम्बी-चौड़ी काया के साथ जब आप अपनी ओजस्वी वाणी में राजनीति से लेकर सामाजिक कुरीतियों तक तमाम विडम्बनाओं को हँसते-हँसते लताड़ते थे तो श्रोता हँस-हँस कर लोटपोट हो जाते थे।


5 नवंबर 1936 को हरियाणा के गुरुग्राम ज़िले के रणसीका ग्राम में ओमप्रकाश ‘आदित्य’ का जन्म हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तार उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने हिन्दी काव्य मंच पर अपनी पहचान क़ायम की। उन्हें कई ढेर सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। और उन्होंने दर्जन भर विदेश यात्राएँ भी की। पूरे जीवन मंच पर सक्रिय रहने वाला यह रचनाकार 7 जून 2009 को एक कवि सम्मेलन से लौटते समय सड़क दुर्घटना में वो चल बसे। समस्त हिंदी साहित्य उनके ईमानदार साहित्य सृजन का ऋणि रहेगा।
 
काव्य संग्रह-



नोट - (ओमप्रकाश ‘आदित्य’ की रचनाएँ पढ़ने के लिए ऊपर दिए लिंक पर किल्क करें।)