वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। समस्त चराचर जगत की आत्मा सूर्य ही है। सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है, यह आज एक सर्वमान्य सत्य है। क्या अच्छा है और क्या बुरा—इसका ज्ञान तो मनुष्य को संभवत: जन्म से ही होता होगा। परिवार के बाद समाज के सम्पर्क में आने पर वह धीरे-धीरे सही और गलत में फर्क करना स्वयं सीख जाता है। लेकिन कुछ बातें ऐसी होती है जिन पर यकीन करना शायद इतना सरल नहीं होता है। लेखक अश्विनी कपूर द्वारा लिखी "सूर्योदय से सांझ ढले" में भी सूर्य से संबधित मिथ्यों का खंडन किया गया है।
प्रकाशित होते ही यह किताब जल्द ही बेवसाइट पर उपलब्ध हो जाएगी फिलहाल इस कहानी के कुछ अंश बेवसाइट पर उपलब्ध हैं। जिन्हें आप पढ़ सकते हैं।