हर शख्स प्यार और मेहनत का हो जाए दीवाना,
बीती सदी संग विदा हों सभी गम और निराशाएं
मुबारक हो सबको नई सदी और नया जमाना ।
स्याह रातों का कलेजा चाक कर दिखाना है
रोशनी का समन्दर हर तरफ लहराना है,
हर कोई बांट रहा है जहां पर मायूसियां
हमें वहां तबस्सुम ही सिर्फ बिखराना है ।
पड़ी अगर जरूरत तो जान भी हम देंगे
पर खिज़ा को बाग में रहने नहीं देंगे,
दिल जलाकर भी करेंगे उजाला चारों ओर
जुल्मत के अंधेरों को बढ़ने नहीं देंगे ।
हो सावन या रूत पतझड़ की गांए हम गीत बहारों के
हर रास्ते पर तरक्की चूमे कदम हम रहगुजारों के,
हो आंधी या तूफान डगमगाएं न हम सबके कदम
मंजिल को पाएं खुद, मोहताज न हों सहारों के ।