प्रिया के नाम अमित के पञ से माँ निर्मला को जब देव की दशा की खबर लगी तो वह स्वयं को नही रोक पाई| पन्नालाल को उसने दिल्ली चलने को कहा| वह अब वीणा की मानसिक दशा के अतिरिक्त कुछ और नही सोच पा रही थी| उसका मन वीणा के दर्द में टिका था| वीणा के दर्द का कारण देव का दर्द था और ऐसे में देव के लिए दुँआए माँगने में हर क्षण बीत रहा था| वे दोनों बच्चों को समझा कर अगली बस से दिल्ली पहुँच गए| देव की दशा देखकर दोनों स्तब्ध हो गए थे| पन्नालाल तो अगले ही दिन वापिस देहरादून लौट गए, लेकिन निर्मला वीणा-देव के कहने पर वहीं रुक गई| देव की दशा ही कुछ ऐसी थी कि निर्मला का मन भी वीणा के पास से हटने को नहीं कर रहा था|