“गबन” मुंशी प्रेमचंद का एक प्रसिद्ध उपन्यास है। जोकि जीवनयापन की चिन्ता से संबधित है। इस उपन्यास का मूलभाव “गहनों के प्रति पत्नी के लगाव का पति के जीवन पर प्रभाव” है। गबन में टूटते मूल्यों से गुजरते मध्यवर्ग का वास्तविक चित्रण किया गया है। यह एक भारतीय मध्यम वर्ग की परिस्थितियों, उसके लालच, और इन सबका उनके जीवन पर प्रभाव को बताने वाली कहानी है। दीनदयाल की पुत्री जालपा के बचपन से लेकर जवानी तक की कहानी के माध्यम से ये उपन्यास अनेक मोड़ों से गुजरता हुआ साल 1930 के भारत की झलक दिखलाता है।
यही नहीं यह उपन्यास मनुष्य के जीवन की सच्चाई की खोज अधिक गहराई से करता है, और अंधकार में भटक रहे भ्रम को तोड़ता है। साथ ही पाठक को इस भूल-भूलैया से निकलाने और सही मार्ग दिखलाने की प्रेरणा देता है।