शाम के सात बज रहे थे। आसमान पर डूबते सुर्य की रोशनी के कारण, लालिमा छाई हुई थी और सारे वातावरण में स्वच्छता-ही-स्वच्छता दिखाई पड़ रही थी। सड़कों पर काफी रौनक थी। तफरीह के लिए निकले लोग, अपने साथियों के संग बातें करते हुए, अपनी-अपनी राह पर धीरे-धीरे कदम बढ़ा रहे थे। युवा वर्ग के सदस्यों की संख्या भी काफी नज़र आ रही थी। इनमें तकरीबन सभी सिगरेट पीते हुए, जोर-जोर से भददी बातें करतें हुए चल जा रहे थे।