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गुलेरी की कहानियाँ
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गुलेरी की कहानियाँ
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पं. श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी हिंदी के अतिविशिष्ट कथाकार हैं। इनकी कहानी उसने कहा था’ की गणना हिंदी की महानतम कहानियों में की जाती है। वह बहुमुखी रुचियों और प्रतिभा के व्यक्ति थे। गुलेरी की केवल तीन कहानियां ही प्रसिद्ध है जिनमें 'उसने कहा थाके अतिरिक्त 'सुखमय जीवनव 'बुद्धू का कांटासम्मिलित हैं। गुलेरी के निबंध भी प्रसिद्ध हैं लेकिन गुलेरी ने कई लघु-कथाएं और कविताएं भी लिखी हैं जिससे अधिकतर पाठक अनभिज्ञ है।

गुलेरीजी अपनी केवल एक कहानी, 'उसने कहा थाके दम पर हिंदी साहित्य के नक्षत्र बन गए। उन्होंने ने केवल तीन कहानियां नहीं लिखी थीबल्कि 1900 से 1922 तक प्रचुर साहित्य सृजन किया तथा अनेक हिंदी लेखकों का मार्गदर्शन भी किया। आपने अनेक कविताएं,निबंधलघु-कथाएं लिखी हैं और इसके अतिरिक्त अनुवाद भी किए। गुलेरीजी पहले कवि तत्पश्चात् निबंधकार व कथाकार हैं। उनकी ब्रज कविताओं का रचनाकाल जनवरी, 1902 है। आप नौ-दस वर्ष की आयु में मातृभाषा की भांति संस्कृत में धाराप्रवाह वार्तालाप करते थे। दस वर्ष की आयु में बालक गुलेरी ने संस्कृत में भाषण देकर 'भारत धर्म महामंडलको अचंभित कर दिया था।

गुलेरीजी ने केवल 39 वर्षदो महीने और पांच दिन का जीवन पाया। वे 7 जुलाई 1883  को जन्मे और 12 सितंबर 1922 को उनका देहांत हो गया। गुलेरीजी ने चंद्रधरचंद्रधर शर्मा तथा चंद्रधर शर्मा 'गुलेरीके अतिरिक्त भी कई अन्य नामों से लेखन किया जिनमें'चिट्ठीवालाएक चिट्ठीवालाअनामकंठाशब्द कौस्तुभ का कंठाएक ब्राह्मण इत्यादि सम्मिलित हैं।

 

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