“खोखली नींव” उपन्यास की रचना अश्विनी कपूर ने 1971 में की थी। जब उनकी उम्र मात्र 16 वर्ष की थी। उस उम्र में उन्होंने स्कूल-कॉलेज में जो भी देखा उसी का ताना-बना इस उपन्यास के रूप में बुन दिया।
यह कहनी छात्रों के एक ऐसे समूह के इर्द-गिर्द घूमती है जो मादक पदार्थों के सेवन, जुआ और अन्य इसी तरह की गतिविधियों में लिप्त हैं। लेखक ने उस समय स्वयं एक छात्र होने के नाते ये महसूस किया कि इन सबका समाधान आत्मबोध है। साथ ही यह एक शिक्षक की भी जिम्मेदारी है। शिक्षक ही आत्मआंकलन का रास्ता दिखाता है।
और वह शिक्षक वह स्वंय का भी हो सकता है। आपके माता-पिता, दोस्त या कोई अज्ञात।
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